बाबा जी की प्यारी साध संगत जी आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं उसको सुनकर आपको अपने सच्चे पातशाह हमारे प्यारे बाबा जी पर विश्वास और अटल हो जाएगा। बाबा जी की ये प्यारी बात सुनकर आप किसी भी परेशानी में हो आपके अंदर एक पाजिटिविटी आनी शुरू हो जाएगी वो कहते है ना मेरी हस्ती है एक खारे समंदर सी मेरे दाता तू अपनी रहमतों से इसको मीठी झील कर देना साध संगत जी आज जिन बातों का हम ज़िक्र करने जा रहें हैं वो दसवीं पातशाही श्री गुरु गोविंद सिंह जी के समय की है एक बार श्री गुरु गोबिंद सिंह जी सत्संग फरमा रहे थे उन्होंने अपने वचनों में कहा कि जिसका जो प्रारब्ध है उसे वही प्राप्त होता है उससे कम या उससे अधिक किसी को प्राप्त नहीं होता क्योंकि हर जीव को अपने कर्मों का फल भुगतना ही पड़ता है जैसे ही सत्संग हुआ बाबा जी ने हुकुम नामा किया कि संगत में जिस किसी को भी कोई भी परेशानी हो या किसी वस्तु की आवश्यकता हो तो बिना संकोच करे मांग सकता है आज बाबा जी पूरी मौज में है आज जो माँगोगे वो ज़रूर मिलेगा किसी को धन की कमी थी तो किसी को और परेशानियाँ थी अब वही संगत में एक बहुत ही गरीब सेवादार भी था उसने बाबा जी से अर्ज़ की उसने कहा बाबा जी मैं दुनिया के आगे हाथ नहीं फैला सकता मेरे सच्चे पातशाह मेरे मेहरों वाले दाता मुझे इस लायक बना दो कि मुझे किसी के आगे हाथ ना फैलाना पड़े किस किस का बोझा उठाऊँगा मेरे सतगुरु अरदास करता गया रोता गया तो मालिक तो जानी जान है दया का सागर होते हैं उन्होंने उसके सिर पर हाथ रखा और कहा जा पुत्तर आज के बाद तुझे कोई कमी नहीं रहेगी मेहमान हो साधू हो कोई भी तेरे घर से खाली हाथ नहीं जाएगा इसी तरह उस दिन बाबाजी सबकी माँगे पूरी कर रहे थे तभी वहाँ सत्संग में एक फकीर शाह राय बुलरदीन भी बैठे हुए थे ये सब नजारा देखकर वो हैरान थे पर बाबा जी तो जानी जान है उन्होंने शाह जी की तरफ देखा और पूछा आपको भी कुछ आवश्यकता हो तो निसंदेह निसंकोच होकर कहो पर शाह जी ने हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि बाबा जी मुझे तो किसी सांसारिक वस्तु की इच्छा ही नहीं है परंतु मेरे मन में एक संदेह है बाबा जी आज्ञा हो तो पूछूं तो बाबा जी ने कहा पूछो तो शाह जी ने बाबा जी से पूछा बाबा जी अभी आप जी ने सत्संग में फरमाया था कि किसी भी जीव को प्रारब्ध या किस्मत से ज्यादा या किस्मत से कम किसी को नहीं मिलता और सबको कर्मों का फल भुगतना ही पड़ता है तो बाबा जी इस व्यक्ति के जीवन में इतनी गरीबी थी तो आपने इसका प्रारब्ध कैसे बदल दिया तो बाबा जी मुस्कुराए और उन्होंने एक सेवादार को बुलाया तो बाबा जी ने उस सेवादार से एक ब्लैंक पेपर या कोरा कागज मंगवाया और साथ में स्याही या इंक जिसे हम कहते हैं वो स्याही मंगवाई और एक मोहर भी मंगवाई फिर बाबा जी ने उस मोहर को बिना स्याही लगाए शाह जी को दिखाया और पूछा बताओ अक्षर उल्टे हैं या सीधे? तो शाह जी बोले ये अक्षर तो उल्टे हैं फिर बाबा जी ने मोहर को स्याही में डुबोया और कोरे कागज पर मोहर लगा दी और बाबा जी शाह जी से बोले अब बताओ कि अक्षर उल्टे हैं या सीधे तो शाह जी बोले अब तो अक्षर सीधे हो गए हैं तो बाबा जी मुस्कुराए और शाह जी को बोले अब समझ आया कि इस उदाहरण का मतलब क्या था? तो शाह जी हैरान थे और कहने लगे कि बाबा जी ज़रा खोल कर समझाओ कि आप इस उदाहरण से क्या समझा रहे हैं तो बाबा जी ने फरमाया जिस प्रकार छाप या मोहर के अक्षर उल्टे थे लेकिन स्याही लगाकर छापने पर सीधे हो गए इसी तरह जीव का उल्टा भाग्य भी सीधा हो जाता है अगर उसकी ज़िंदगी में परमात्मा रूपी संत सतगुर आ जाते हैं संत सतगुर चाहें तो किस्मत का लिखा भी बदल जाता है कहते हैं जब ब्रह्मा जी ने वेदों की रचना की थी तो रचना करने के बाद जब उनकी स्याही बच गयी थी तो उनको लेकर वो भगवान के पास गए थे और ब्रह्मा जी ने प्रार्थना की थी कि इस स्याही का क्या करना है भगवन तो भगवान बोले कि इस स्याही को ले जाकर संतों को दे दो क्योंकि उन्हीं का अधिकार है जीव की किस्मत का लिखा बदलने का वाह मेरे सतगुरु आप खुद ही देख लो ये तो प्यार और विश्वास का रिश्ता है जैसे जैसे हमारा प्यार और विश्वास बढ़ता जाएगा संत सतगुर के बताए सही रास्ते पर चलेंगे तो मालिक की बख्शीश जरूर होगी नाम की दाद देकर अपनी मोहर तो लगा ही चुके है बाबा जी हम बहुत किस्मत वाले है जो बाबा जी हमें मिले हम ऐसे परिवार में पैदा हुए जहाँ मालिक की मेहर और शुकराने की बातें होती है हमें हर पल उस परमात्मा को शुक्रगुजार होना चाहिए कि हमारा जन्म ऐसे परिवार में हुआ जहाँ हम हर पल उस कुल मालिक अपने बाबा जी की प्रेज़ेन्स को फील करते हैं अपने आसपास मालिक की मेहर महसूस करते हैं बाबा जी की इतनी प्यारी बातें सुनकर हमारा प्यार और विश्वास इतना बढ़ जाता है कि क्या मालिक उस प्यार और विश्वास की लाज नहीं रखेंगे जरूर रखेंगे बाबा जी हमें कोई भी परेशानी कैसे आने दे सकते हैं विश्वास करके तो देखो विश्वास में इतनी ताकत है कि कायनात ही पलट जाती है आज इस महामारी में भी पूरी दुनिया में कोरोना का हाहाकार मचा हुआ है पर बाबा जी की प्यारी संगत के लिए तो सिर्फ करुणा ही है हम अगर हर दिन हर पल को पीछे मुड़कर देखें तो ऐसा लगता है ना कि कैसे कठिन परिस्थिति से बड़े ही प्यार से बाबा जी ने हमें निकाल लिया और हमारे आँसू रुक नहीं पाते हमें चाहे बहुत देर में पता चलता है कि ऐसा क्यों हुआ था पर कुछ समय बाद उस परिस्थिति का अच्छा कारण हमें समझ आ जाता है कि मालिक कितने अंग संग है हमारे
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