बाबाजी क्या देवी देवता की परछाई नहीं होती ?

बाबा जी की प्यारी साध संगत जी वो कहते हैं ना ज्यादा कुछ नहीं जानता मैं मेरे इश्क के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता मैं मेरे इश्क के बारे में पर बाबा जी जब आप सामने आते हो तो तलाश खत्म हो जाती है साध संगत जी आज की ये बात सुनकर आप खुद को बहुत किस्मत वाला महसूस करेंगे वो कैसे उसके लिए आपको ये वीडियो पूरा सुनना होगा ये जो घटना हम आपको बताने जा रहे हैं ये बाबा जी ने खुद संगत को सुनाई है एक बार एक शहर था जहाँ पर एक परिवार जो पूरा का पूरा चोर था और जब परिवार का मुखिया अंतिम सांसे ले रहा था तो वो अपनी बीवी को पास बुलाता है और कहता है कि हम तो खानदानी चोर है इसीलिए ये जो हमारा बेटा है जो अभी बहुत छोटा है इसको भी चोर ही बनाना जब वो बड़ा हो जाएगा पर चोर बनने के लिए कुछ नियमों का पता होना तुम्हारे लिए भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि जब बेटा बड़ा होगा तो ये नियम उसको ज़रूर बताना तभी वो कामयाब चोर बन पाएगा पहला नियम ये है कि कभी भी हमारा बेटा किसी सत्संग में जाकर ना बैठे क्योंकि संगत में चोरों की बुराई होती है जब हमारा बेटा पूछे कि चोरी सीखूँ कैसे तो तू कहना ये तो तेरे खून में है बेटा जब तू चोरी करने जाएगा तो अपने आप तेरा दिमाग तेज़ी से काम करने लगेगा और दूसरा नियम बेटे को ये बताना कि अगर तू पकड़ा जाए तो चाहे तेरे टुकड़े टुकड़े हो जाए पर तू मानना नहीं कि तूने चोरी की है यही चोर का सबसे कीमती हथियार होता है अब वो चोरों के परिवार का मुखिया ये नियम बता कर गुजर गया और अब उस चोर का बेटा जैसे जैसे बड़ा हुआ तो बारह साल का होते ही माँ से सवाल करता है कि माँ मैं हमेशा से यही देखता आया हूँ कि हमारे घर में सभी लोग सिर्फ खाते पीते ही रहते हैं या सोते रहते हैं कभी काम पे नहीं जाते जैसे और लोग जाते हैं तो धन कैसे आएगा आप कहो तो मैं कुछ काम कर लूँ तो माँ ने कहा तुझे कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है बस तू वर्जिश कर अच्छे से सेहत बना अच्छा खाना खा पी यही तेरे काम आएगा जब तू बड़ा होगा अब उसकी माँ उसको खूब अच्छे से भरपूर खाना देती कोई कमी नहीं रखती थी क्योंकि उन लोगों के पास चोरी का धन इतना था कि बेटे के बड़े होने तक भी खत्म नहीं होने वाला था अब जब उसका बेटा अठारह साल का हुआ तो उसकी माँ ने उसको बताया कि बेटा हम तो चोर है तो तुझे भी चोर ही बनना है तो बेटा बोला माता मुझे तो चोरी आती नहीं तो माँ बोली तू जा तो सही चोरी करनी भी अपने आप आ जाएगी क्योंकि वो तुम्हारे खून में है पर जाने से पहले दो बातों का ख्याल ज़रूर रखना पहला नियम तुझे कसम है कि कभी भी जहाँ सत्संग हो रहा हो तो उस गली से कभी मत निकलना सत्संग में जाना तो बहुत दूर की बात है पास से भी मत गुज़रना और दूसरा नियम ये याद रखना कि कभी भी चोरी करते हुए पकड़े भी जाओ तो अपनी गलती कभी मत मानना चाहे वो तुम्हें मार मार के खत्म ही क्यों ना कर दे कभी भी अपना गुनाह कबूल मत करना क्योंकि यही तुझे बचाएगा अब इस लड़के ने चोरी शुरू कर दी और दोनों नियमों पर चलकर चोरी करने चल पड़ा पूरा खानदान तो चोर था ही इसलिए इसको भी चोरी करने का रास्ता अपने आप ही समझ आने लगा क्योंकि खून का असर जो था अब रोज़ रात को चोरी करता और दिन में सोता अब शहर में रोज़ ही बहुत ज़्यादा चोरियाँ होने लगी तो राजा हैरान कि ये क्या हो रहा है अचानक से इतनी ज़्यादा चोरियाँ कैसे शुरू हो गयी अब ये चोर इतना निडर हो गया कि राजमहल तक में चोरी कर ली अब राजा को जब पता लगा कि इस चोर ने महल तक को नहीं छोड़ा तो राजा ने उसी वक्त महल के चारों तरफ पहरा लगा दिया जिससे वो चोर भाग ही ना पाए अब इस चोर को बाहर निकलने का एक रास्ता दिखाई दिया वहाँ सत्संग हो रहा था अब इसने सोचा कि और कोई चारा तो है नहीं पहले नियम का उल्लंघन करके यही से गुजरना पड़ेगा तो उसने क्या किया अपने कानों में उँगलियाँ डालकर अपने कानों को बंद करके वहाँ से निकलने लगा अब कानों में उँगलियाँ इसलिए डाली जिससे सत्संग का कोई भी बोल उसके कानों में ना पड़े अब ये चल पड़ा उस रास्ते से जहाँ सत्संग हो रहा था दौड़कर गुज़र रहा था और कानों में उँगलियाँ डाली हुई थी पर दौड़ते दौड़ते जब गुजर रहा था तो अचानक उसके पैर में कांटा चुभ गया अब जैसे ही काँटा चुभा तो पैरों से काँटा निकालने के लिए उँगलियाँ अपने आप कानों से बाहर निकल आयी अब जितनी देर पैर से काँटा निकालने में लगी उतनी ही देर में उसके कानों में जो आवाज़ पड़ी वो वहाँ बैठे महापुरुषों की थी और वो किसी कथा के दौरान बता रहे थे कि देवी देवताओं की परछाई नहीं होती तो जैसे ही ये बात उस चोर के कानों में पड़ी तो वापस अपनी उँगलियाँ कानों डाल के सोचता है लोग अपना समय बर्बाद करके ये बातें सुनने आते है अब इसमें इनका क्या फायदा है भला और फिर सोचता है मेरी माता ठीक ही कहती है और पिता भी ठीक ही कह कर गए है कि सत्संग सुनना बेफिजूल है देवी देवताओं की परछाई नहीं होती इन बातों से हमें क्या लेना देना अब उधर राजा इस चोर को ढूँढने में लगा हुआ है तो उस ज़माने में जो औरतें होती थी जिन्हें inquiry का काम दिया जाता था उन्हें कहते थे फाफ कुटनी जैसे आजकल CID होते है ना बस वैसे ही राजा के महल में भी थी तो राजा ने उसको बुलाया और उसको कहा तुम पता करो कि कौन सा ऐसा आदमी है जो दिन भर सोता है और रात को जागता है क्योंकि ये तो चोर की फितरत होती है कि दिन में सोता है और रात में जागता है और काम कोई करता नहीं अब पूरा पता लगाने पर ये चोर पकड़ा गया तो इसे खूब पीटा गया कि बता तूने चोरी की है या नहीं तो अब इस चोर ने कसम खाई हुई थी कि मर जाऊँगा पर मानूँगा नहीं कि मैंने चोरी की है अब जिस औरत ने पकड़वाया था वो राजा से कहती है मैं गारंटी लेती हूँ यही चोर है क्योंकि मैंने इसके पूरे परिवार का पता लगाया है कि इसके परिवार में आज तक किसी ने कोई काम नहीं किया खाते पीते और दिन में सोते है ये पूरा दिन सोता है और रात को जागता है चोर यही है अब इस चोर को बहुत पीटा गया पर इसने बिलकुल नहीं कबूला के इसने चोरी की है अब राजा के मन में आया कि हमने शायद गलत आदमी को ही पकड़ लिया है इतने दिन हो गए ये मान ही नहीं रहा कि ये चोर है तो ये तो चोर हो नहीं सकता अब राजा उस औरत से नाराज़ हो गया किंतु ऐसे ही किसी बेकसूर को फसवा रही है तो उस औरत ने कहा राजन मुझे एक दिन का समय और दो मैं ये साबित कर दूँगी के चोर यही है अब उस औरत ने एक देवी का रूप धारण करके जेल के अंदर इस तरह आयी जैसे देवी देवता प्रकट होते है ताले इस तरह से लगाए गए जैसे जादू से अपने आप खुल रहे हो अब वहाँ जेल में एक छोटा सा दिया भी था हलकी सी रोशनी आ रही थी अब जब वो देवी का रूप धारण करके इस तरह प्रकट हुई तो चोर को लगा सच में उसके सामने देवी आ गयी है अब देवी उसके सामने आकर बोली पुत्र तुम्हे राजा ने बहुत तंग किया है ना मैं तुम्हें बचाने आयी हूँ पर मुझे सच बता तूने चोरी की है या नहीं चोर ने सिर झुका दिया कि देवी उसके सामने खड़ी है पर जैसे ही सिर झुकाते ही उसका ध्यान उस दिए की रोशनी से देवी की परछाई पर पड़ा तो उस चोर को सत्संग की वही पंक्तियाँ याद आ गयी कि देवी देवताओं का तो साया ही नहीं होता एक सत्संग में सुनी हुई बात वो भी गलती से सुनी हुई बात उसके यहाँ काम आ गयी अब जैसे ही उसे परछाई दिखाई दी तो ये समझ गया कि इस चोर के साथ खेल खेला जा रहा है तो अब इस चोर ने भी चाल चली और बोला हे देवी आप तो अंतर्यामी हो आपको तो पता है मैंने चोरी नहीं की अब राजा ये बातें सुन रहा था और उस राजा ने उसी वक्त उस चोर को रिहा कर दिया और उस औरत को जेल में पकड़ कर डाल दिया अब ये चोर इतना खुश है कि सीधा वहाँ से सत्संग में पहुँचा और महापुरुषों के चरणों में गिर गया और बोला बाबा जी सत्संग की एक बात ने आज मेरी ज़िंदगी बचा ली और मैंने आज तक जो भी पाप किए है मुझे अब डर लग है के इन गुनाहों से छुटकारा कैसे मिलेगा पर सतगुरु तो दीनो के दयाल है ना वहाँ सब माफी मिल जाती है अगर सच्चे मन से ठान लो कि दोबारा ऐसी गलती नहीं दोहरानी अब उस चोर ने अपनी माता को भी सत्संग में खींच लिया पर खुद भी गुरुसिख बन गया अच्छे काम करने लगा हक हलाल की कमाई पर निर्वाह करने लगा साथ संगत जी सत्संग की एक पंक्ति भी ज़िंदगी बदल देती है और हम तो किस्मत वाले है जो हमें पूरा सत्संग मिला हुआ है और अगर हम पूरे सत्संग पर अमल करेंगे तो मालिक की मेहरों का खजाना मिलता चला जाएगा।

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