एक बीबी ने बताया मरने के बाद क्या क्या होता है सुनकर होंगे हैरान

बाबा जी की प्यारी साध संगत जी वो कहते हैं ना कैसे कह दूँ कि मेरी हर दुआ बेअसर हो गई. मैं जब भी रोया मेरे प्यारे सद्गुरु मेरे प्यारे बाबा जी को खबर हो गई. साध संगत जी आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं वो सुनकर आपका जीने का तरीका ही बदल जाएगा आज जिन बातों को हम सब लोग नज़र अंदाज़ करते हैं आज आपको एहसास हो जाएगा बस वही जिंदगी में बहुत ज़रूरी होता है ना जाने लोग अभी तक इन बातों से क्यों अनजान है जो अभी जीते जी नहीं समझ पा रहे कि कैसी कैसी परेशानियों का सामना हमें मरने के बाद करना पड़ता है यही रोंगटे खड़े करने वाली एक बीवी की आपबीती से आज आपको पता चलेगा कि मरने के बाद हमारे साथ क्या क्या होता है ये बीवी भी इसलिए बता पाई क्योंकि मरने के बाद ये दोबारा ज़िंदा हुई तो इस बीवी के साथ मरने के बाद जो सलूक हो रहा था वो आज आप सबको हैरान कर देगा इस घटना से बाबा जी की प्यारी संगत में बहुत सारी संगत आज कुछ खास सीख लेगी और इस घटना से पता नहीं कितनी संगत पर मेहर होने वाली है साथ संगत जी ये सच्ची घटना अमृतसर में रहने वाली एक बीबी की है उस बीबी का नाम था गुरसिमरन कौर। एक बार एक बहुत ही पहुँचे हुए महापुरुष जब सत्संग फरमा रहे थे तो क्या देखते हैं? एक बीबी जिनका नाम था गुरसिमरन कौर सामने वाली लाइन में बैठी होती है और जब भी वो सत्संग करते तो संगत में वो बीबी हर सत्संग में उन महापुरुषों का सत्संग सुनने पहुँच जाती अब जहाँ पर भी उन महापुरुषों का कीर्तन का जत्था जाता तो वो बीबी हर सत्संग में सामने वाली लाइन में बैठी दिखती तो अब इन महापुरुषों ने उस बीबी को बुलाकर पूछा कि बीबी तेरे घर में तुझे कोई रोकता टोकता नहीं है क्या? क्योंकि हमारा हर रोज नई जगहों पर कई किलोमीटर दूर भी सत्संग होता है तू वहाँ भी आ जाती है क्या घर में तुझे कोई काम नहीं होता तो वो बीबी बोली मैं क्या करूँगी ऐसे घर में रहकर जहाँ घर का कोई भी मेरे काम नहीं आया तो वो महापुरुष बोले लगता है तू घर वालों से बहुत दुखी है तुझे बहुत तंग करते है क्या तो वो बीबी बोली नहीं ऐसी तो कोई भी परेशानी नहीं है मेरा घरवाला तो बहुत अमीर आदमी है बंगला है गाड़ियां है नौकर चाकर है सब बेटे भी आज्ञाकारी है कोई तकलीफ नहीं है पर वो सब मेरे किसी काम नहीं आए तो वो महापुरुष बोले क्या गोल गोल बातें कर रही हो खुलकर बताओ तो उस बीबी ने बताया कि मैं मरकर जिंदा हुई हूँ अब महापुरुष उसकी ये बात सुनकर फिर हैरान हुए और वो फिर बोले बीबी खोलकर बता कि तू बताना क्या चाह रही है तो उस बीबी ने बताया मैं हर रोज़ कई भिखारियों को घर के बाहर खाना खिलाया करती थी कपड़े बाँटा करती थी बहुत धनवान जो थी दान पुण बहुत करती थी पर नाम नहीं जपती थी सत्संगत में मैं कभी बैठी ही नहीं बस एक बार मेरी सहेली जबरदस्ती मुझे सत्संग ले गई और मैं वहाँ सत्संग में मुश्किल से पंद्रह मिनट बैठी और फिर बाहर आ गई और उसके बाद कभी सत्संग गई ही नहीं और एक दिन अचानक मेरी मौत हो गई और यमदूत मुझे घसीट-घसीट कर लेकर जा रहे थे अब मैं चीखी चिल्लाई पर मेरे घर वाले तो कोई मुझे सुन ही नहीं रहे थे शायद वो मुझे सुन ही नहीं पा रहे थे और शायद मैं उन्हें दिखाई भी नहीं दे रही थी बस मैं ही अपने घर वालों को देख पा रही थी मैं चिल्ला रही हूँ पर मेरे कोई घर वाले मदद के लिए नहीं आए मुझे घसीटते हुए यमदूत इतने भयानक रास्ते से ले जा रहे थे कि मैं बयान नहीं कर सकती कितना भयानक रास्ता था वाणी में यही तो लिखा है जय महा पयान दूत जम दल्ले तेह केवल नाम संग तेरे चले वो बीबी फिर बोली कि रास्ते में एक भयानक सी डरावनी गंदी सी अँधेरे गटर वाली नदी आयी जो नर्क से कम नहीं थी तो वो यमदूत बोले इस नदी को तुझे अकेले तैर कर पार करना होगा तो मैं यमदूत के आगे रोने लगी घबरा गयी के मुझे इस नदी में मत धकेलो मैं तो इस गंदे गटर में डूब जाऊँगी पर यमदूत मेरी कोई बात नहीं सुन रहे थे और वो यमदूत उस नदी में जैसे ही मुझे धक्का देने लगे तो उसी वक्त एक सफेद कपड़ों में एक बीबी प्रकट हुई और उसने मुझे अपने कंधों पर बैठाकर उस नदी से पार करवा दिया जब मैंने उस सफेद कपड़ों वाली बीबी से पूछा आप कौन हो तो वो बीबी बोली कि तुमने जीवन में जो पंद्रह मिनट का सत्संग सुना था मैं उसी का फल हूँ फिर मैंने उस सफेद कपड़ों वाली बीबी को पूछा कि मैंने जो इतना दान किया इतना पुण्य किया इतने गरीब लोगों को खिलाया उसका फल ये मिला मुझे तो वो सफेद कपड़ों वाली बीबी मुझे कहती है ये फल यहाँ पर नहीं चलते ये तो धरती लोक पर ही चलते है इंसान जो भी दान करते है ये उसका फल उनको धरती लोक पर ही मिल जाता है यमलोक में इसका कोई फल नहीं मिलता और दान का फल तो हर किसी को मिलता भी नहीं वो कैसे वो ऐसे कि बड़े महापुरुष कहते हैं कि दान पुण्य करके अगर तीन बार सिर्फ बोल दो चाहे अपने किसी मित्र को या अपने किसी रिश्तेदार को या अपने घर वालों को कि मैंने ये दान किया कि मैंने वो दान किया तो वो सारा फल खत्म हो जाता है और आज कल तो लोग जगह जगह दान करने वाली जगह पर अपना नाम लिखवाते हैं चाहे पानी की टंकी हो या पंखे हो के फलाने ये दान किया है अब साध संगत जी सोचने वाली बात ये है कि पंखा तो घूम रहा है और नाम भी पंखे के साथ घूम रहा है पढ़ा भी नहीं जाएगा फिर भी लिखवाते हैं और वो बीबी गुरसिमरन कौर महापुरुषों को सारी बात बताते हुए आगे की बात बताती है कि नदी पार होने के बाद वो यमदूत मुझे धर्मराज के पास ले गए तो वो धर्मराज बोले ये कौन सी गुरसिमरन कौर को ले के आ गए हो? ये तो दूसरी है इसी के पड़ोस में दूसरी गुरसिमरन कौर रहती है उसे लाना था इतनी सी बात बस धर्मराज की चल ही रही थी कि इतनी देर में मैंने देखा कि मेरे रिश्तेदार सब रो रहे थे मेरा शरीर पड़ा था और इतनी देर में मैं उठ खड़ी हुई सारे रिश्तेदार और घर वाले सब हैरान और मैं भी हैरान थी और मैं सोचने लगी कि शायद मैंने कोई सपना देखा हो या मैं ज्यादा देर तक सो गयी हो और सबने मुझे मरा हुआ समझ लिया होगा पर हैरानी मेरी तब और बढ़ गयी जब मैंने देखा कि सामने पड़ोस से दूसरी गुरसिमरन कौर के घर से रोने की आवाज़ें आने लगी जिसके बारे में धर्मराज ने कहा था वो बीवी महापुरुषों से कहती है कि अब मुझे अच्छे से समझ आ गया कि गलती से ही सही पर मरने के बाद का नजारा इतना भयानक होता है अगर नाम ना जपा हो और गलती से पंद्रह मिनट के लिए सत्संग गयी थी वही सत्संग मेरे वहाँ काम आया वहाँ मेरे सद्गुरु जय मुश्किल होवे अतभारी हर को नाम खिन माहि उधारी अर्थात यमदूत धक्का देने वाले थे और उसी वक्त नाम प्रकट हुआ और उसको पार कर आया वहाँ मेरे सतगुरु और अब वो बीबी बोली अब कुछ भी हो जाए मैं सारे काम छोड़कर पहले सत्संग आती हूँ साथ संगत जी जब नाम ने ही वहाँ साथ देना है तो हम क्यों ना नाम को पक्का करें बाबा जी ये नहीं कहते कि घर गृहस्थी छोड़कर नाम जपों सारी जिम्मेदारियाँ निभाते हुए नाम को जपना है तो अब इस घटना से ये यकीन तो आपको जरूर हो गया होगा कि दुनिया में कितने ही रंगों में रंग लो कुछ हासिल नहीं होगा एक नाम ही हमेशा साथ निभाएगा वो ही पार लगाएगा ये जन्म सिर्फ और सिर्फ नाम जपने के लिए ही मिला है और सब कुछ व्यर्थ है

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