बाबा जी की प्यारी साध संगत जी हम एक ही छोटी सी घटना बतातें हैं बहुत ही प्यारी और सच्ची घटना है एक बार एक राजा था बहुत धर्म कर्म वाला था उसकी पत्नी भी बहुत धर्मी थी पर उनके घर में कोई औलाद नहीं थी उनकी उम्र बढ़ती जा रही थी पर उनका कोई वारिस नहीं था उन्हीं के राज्य में उनके सलाहकारों ने उनको तरह तरह के तरीके बताए हवन हो या यज्ञ हो सब करवा कर देख लिया पर कुछ हासिल नहीं हुआ जब सारे उपाय करके देख लिए तब राजा के राजगुरु ने कहा कि किसी बच्चे की बलि दी जाए तो आपके घर में पुत्र जरूर हो जाएगा अब राजा तो बहुत धर्मी इंसान था ये बात सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया और राजा ने कहा कि अपने मतलब के लिए किसी बच्चे की बलि कैसे दे दूँ? सवाल ही नहीं उठता। ये पाप है, मैं इस पाप का बोझ कैसे उठाऊंगा? राजा ने तो साफ इंकार कर दिया, पर सारे मंत्री और सारी राज्यसभा राजा को समझाने लगी कि अपने लिए ना सही पर सारी प्रजा के लिए तो सोचो राजन आपको ये बात माननी ही होगी सबने बहुत ज़िद की बहुत समझाया और राजा ने एक ना सुनी और राजा बोला जिस माँ के बच्चे की बलि दी जाएगी उसकी आहें उसकी बद्दुआ लूँगा क्या मैं कभी नहीं तो मंत्रियों ने राजा को सुझाव दिया कि हम ऐसा कर सकते हैं कि पूरे शहर में ये ऐलान करा देते हैं कि जो भी अपनी मर्ज़ी से अपने बच्चे को बलि के लिए देगा उसको मुँह माँगा इनाम दिया जाएगा और उसका पूरा घर हर तरह के पदार्थ से भर दिया जाएगा तब तो आपके ऊपर पाप नहीं चढ़ेगा सब मंत्रियों के जोर देने पर राजा ने मन मार कर सबकी बात पर हाँ तो कर दी पर राजा मन ही मन सोचता है कि कौन माता पिता अपने बच्चे की बलि देंगे ऐसे माँ बाप तो कोई हो ही नहीं सकते जब ऐलान करवा दिया गया उसी शहर में एक परिवार था जिसमें माता पिता और छह बच्चे थे बहुत गरीबी थी पाँच बच्चे तो खेतों में काम करते थे पर उससे भी उनका घर का कोई गुजारा नहीं चलता था और जो सबसे छोटा बच्चा था उससे थोड़ी ही मेहनत हो पाती थी पर सिमरन बहुत करता था। माता-पिता ने सोचा कि उनके पाँचों बच्चे तो बहुत मेहनती हैं पर ये छठा वाला बड़ा निखट्टू है काम तो जरा सा करता है पर जब देखो समाधी लगा के बैठा रहता है क्यों ना इसे राजा को दे दें बलि के लिए हमारी गरीबी भी दूर हो जाएगी अब क्या था बलि देने का दिन आया तो पिता उस छोटे से बच्चे के साथ उसकी बलि देने चल पड़ा तो रास्ते में ही पुत्र ने पूछा पिताजी हम कहाँ जा रहे हैं? तो पिता ने जवाब दिया कि हम तेरी बलि देने जा रहे हैं तो वो सीधा सा बच्चा जिसे बलि का मतलब ही नहीं पता था उसने पिता से बड़े भोले भाव से पूछा पिताजी बलि क्या होती है तो पिता ने जवाब दिया बलि में तेरा सर कलम कर दिया जाएगा और उसके बदले राजा हमें खूब धन देगा जिससे हमारी गरीबी भी दूर हो जाएगी यह सुनकर वो छोटा सा बच्चा बड़ी हैरानी से पिता की तरफ देखता है और सोचता है क्या पिता ऐसा भी होता है उस बच्चे के आँसू निकल पड़ते हैं पर पिता के साथ चलता रहता है और सोचता है जिसने जन्म दिया वो ही मुझे मारने के लिए खुद ले के जा रहा है। साध संगत जी ये जीवन की सच्चाई है कोई अपना नहीं इस दुनिया में सब गर्जों के रिश्ते हैं। तुम अगर अपने परिवार में भी किसी काम के हो तभी तुम्हें पूछा जाएगा। पर हम सब पर मालिक की मेहर है कि कभी उसने भूखा नहीं सुलाया। भूख इंसान को क्या से क्या करवा देती है और हम दूसरी छोटी-छोटी परेशानियों से घबरा कर इतने परेशान हो जाते हैं कि अपने सतगुरु से नाराज़ हो जाते हैं कि आपने हमें नहीं दिया वो नहीं दिया क्या मालिक को नहीं पता कि हमारे लिए क्या सही है अब आगे की घटना सुनो आँसू निकल आएँगे और ये घटना सुनते हुए आप सबको अपने प्यारे सतगुरु अपने रब अपने मालिक का सोहना चेहरा सामने आ जाएगा कि कैसे संभाल की होगी बाबा जी ने हमारी हर कदम पर और हमें एहसास तक नहीं ये जो भूख होती है ना ये बड़े बड़े रिश्ते खत्म कर देती है हमें हमेशा शुकराना करना चाहिए कि आज भी हम कितनी ही परेशानी में हो पर हमारे बाबा जी हमारी लाज जरूर रखते है ऐसी मजबूरी कभी नहीं आने देते कि जिस काम की आत्मा गवाही ना करें और वो काम करना पड़ जाए situation ही change हो जाती है और हम गलत रास्ता अपनाने से बच जाते है क्यों क्योंकि बाबा जी का हाथ हर पल हमारे सिर पर है अब आगे क्या हुआ उस पिता ने अपने पुत्र को राजा के हवाले कर दिया अब राजा को छोटे से बच्चे को देखकर बड़ा तरस आ गया आँसू निकल आए पर राजा ने होने आँसू छुपाते हुए उस बच्चे से पूछा क्या तुझे पता है कि तेरे पिता यहाँ तुझे क्यों लाए है और क्या वो तेरी मर्जी से तुझे यहाँ लाए है ये बात सुनकर पिता गुस्से से बच्चे को देखता है पर बच्चे ने तो हाँ ही कहना था जो पूरे रास्ते आराम से पिता के साथ आ गया तो अब क्या मना करेगा तो बच्चे ने कहा मुझे पता है मुझे यहाँ क्यों लाया गया है और मैं अपनी मर्जी से ही आया हूँ अब ये बात सुनकर राजा इतना हैरान हो जाता है कि ये छोटा सा बालक और इतनी बात इतनी आसानी से बोल रहा है इधर राजा का बिलकुल भी मन नहीं उसकी बलि देने का पर पूरी प्रजा पूरा मंत्री गण सबका इतना दबाव था राजा के ऊपर कि राजा मन मारकर बलि की तैयारी करवाता है अब ऐलान हो जाता है कि सारी प्रजा फलां जगह पर इकट्ठी हो जाए जहाँ इस बच्चे की बलि दी जाएगी साध संगत जी ये घटना सिर्फ इस बच्चे की नहीं है ये हम सबके साथ जिंदगी में एक बार जरूर होता है कि जब सारी दुनिया में से कोई भी हमारे साथ नहीं होता और अगर कोई मदद करने की सोचता भी है तो भी चाह कर वो काम नहीं आ पाता कई बार ऐसी मुसीबत आ जाती है कि चाहकर भी रिश्तेदार और नजदीकी काम नहीं आ पाते और उस वक्त सिर्फ वो एक ही काम आता है और वो है हमारा प्यारा सतगुरु हमारा रब हमारा मालिक हमारा परमात्मा किसी भी नाम से बुला लो इसीलिए अपने मन को समझा लो कि अगर मन में बसाना है तो सिर्फ उस एक को बसा लो सारी दुनिया झुक जाएगी तुम्हारे आगे साध संगत जी यह घटना अब आखरी मोड़ पर है यह सच्ची घटना जब मेरे सामने आई तो मेरी तो आंसुओं की झड़ी लग गई थी ऐसा लग रहा था जैसे बाबा जी खुद आए हो हमारी संभाल करने अब आगे सुनो बलि देने का समय हुआ प्रजा इकट्ठी हो गई बलि देने वाला भी आ गया उसके हाथ में बड़ी सी तलवार थी और वो छोटा सा बच्चा भी खड़ा हुआ है राजा की आँखें नम है रानी भी उदास दोनों में से किसी का मन नहीं क्या करने जा रहे हैं पर सारी प्रजा की खुशी के लिए करना ही पड़ेगा। आखिर में बलि का समय आया तो राजा ने उस बच्चे से पूछा कि तेरी कोई आखिरी ख्वाहिश है तो तू बता तो उस बच्चे ने कहा हाँ मैं थोड़ी देर के लिए खेलना चाहता हूँ राजा कहने लगा कि ठीक है खेल लो। अब उस बच्चे ने क्या किया जो वहाँ मिट्टी पड़ी हुई थी उससे खेलने लगता है और उसी मिट्टी से चार ढेरियाँ बनाता है पहले एक ढेरी के पास जा के कुछ कहता है और फिर ढेरी को लात मार देता है फिर दूसरी ढेरी के पास जा के भी कुछ कहता है और फिर उस ढेरी को भी लात मार देता है और अब तीसरी ढेरी के पास जा के कुछ कहता है और तीसरी ढेरी को भी लात मार देता है और अब आई चौथी ढेरी की बारी और अब चौथी ढेरी के पास जा के घुटनों के बल बैठ जाता है उस ढेरी से भी कुछ कहता है पर लात नहीं मारता अब सारी प्रजा सारे मंत्री राजा-रानी सब हैरानी से देख रहे हैं कि ये कौन सा खेल है जो पहले कभी नहीं देखा इतने में बच्चा राजा के पास आके कहता है मैंने ये खेल खेल लिया है अब तुम बलि दे दो मेरी राजा की आँखों में आँसू है घबराया भी हुआ है हैरान भी है और बच्चे से पूछता है बता तो सही ये कौन सा खेल खेला है तूने ये क्या खेल था जिसमें तीन ढेरियों को तूने लात मार दी और चौथी ढेरी को नहीं गिराया तो वो बच्चा राजा से बोला आपको क्या लेना मेरे खेल से आप अपना काम करो बलि का निकल रहा है मेरी बलि दे दो फिर राजा ने कहा बलि तो दे ही देंगे पर तू बता तो ये क्या खेल था मैं जानना चाहता हूँ तो वो बच्चा जो कहता है सुनकर हैरान रह जाएँगे इतना ज्ञान उस बच्चे में कैसे क्योंकि सिमरन पे बैठा रहता था इतना ज्ञान उस बच्चे को जिसको घर वालों ने निखट्टू समझ के बलि के लिए त्याग दिया तो बच्चा राजा को बताता है कि हर इंसान के जीवन में कुछ आसरे होते है सपोर्ट होते है जैसे माँ बाप भाई बहन, रिश्तेदार, राजा मेरे जीवन के भी चार आसरे थे पहला मेरे माता पिता का तो पहली ढेरी मैंने उनके नाम की बनाई और उस ढेरी से कहा मुझे इस बलि से बचाओ पर वो क्या सुनते जो खुद ही मुझे मारने के लिए लाए है ये मुझे क्या बचाएँगे ये तो झूठा आसरा निकला इसीलिए मैंने इस ढेरी को लात मार दी दूसरा आसरा मेरे जीवन का था राजा दूसरी ढेरी मैंने तेरे नाम की बनाई राजन क्योंकि राजा का काम तो प्रजा को बचाना है ना मैंने कहा उस ढेरी से कि मेरी रक्षा कर पर उस ढेरी से भी आवाज आयी कि मैं ही तो तेरी बलि लेने जा रहा हूँ यहाँ तो रक्षक ही भक्षक बन गया तो ये मुझे क्या बचाएगा इसीलिए राजन तेरे नाम की ढेरी भी मैंने गिरा दी तुझे भी लात मार दी मैंने तीसरी ढेरी मैंने बनाई प्रजा की प्रजा मिलजुल कर आपस में एक दूसरे की रक्षा करती है पर यहाँ तो प्रजा भी मेरी मौत का तमाशा देखने आयी है ये मेरी क्या रक्षा करेगी मैंने इस ढेरी को भी लात मार दी वो कहते है ना क्रूर राजा क्रूर प्रजा क्रूड सब संसार किस नाल कीजे दोस्ती सब जग चलनहार अब बच्चा कहता है कि चौथी और आखरी ढेरी मैंने बनाई अपने सतगुरु की जिसका मैं नाम जपता हूँ उस ढेरी के आगे मैंने घुटने टेक दिए कि बाबा जी सारे आसरे झूठे है सबने धोखा दिया है अब जो करना है आपने ही करना है बाबा जी मुझे अब भी आप पर ही विश्वास है आप चाहे तो तख्ते पलट देते है आप तो रब हो आप चाहो तो कुछ भी हो सकता है उस बच्चे की ये बात सुनकर राजा ज़ोर ज़ोर से रो पड़ा साध संगत जी मुझे पता है यह सुनकर आप सबके आंसू बह गए होंगे हो ही नहीं सकता कि अपने सतगुरु की वडिआई सुनके आँखे नम ना हुई हो अब राजा ज़ोर ज़ोर से रो पड़ा कि राजा रक्षक होता है मैं भक्षक बन गया अब राजा मंत्रियो पर चिल्लाने लगा कि तुम सबके कहने पर मैंने यज्ञ कराए हवन कराए जो जो कहा वो सब किया अब इसकी क्या गारंटी है कि इस बच्चे की बलि दूँगा तो मेरे घर में बच्चा पैदा हो जाएगा मैं आज पूरी प्रजा और मंत्रियों से पूछता हूँ अगर कोई तुम में से गारंटी लेता है के इस बच्चे की बलि देने पर मेरे घर में बच्चा होगा ही और जो भी गारंटी लेगा तब भी बच्चा नहीं हुआ तो उसका सर कलम कर दिया जाएगा अब ये सुनकर कोई भी खड़ा नहीं हुआ ना किसी ने कोई गारंटी ली तो राजा अपने सब मंत्रियों से बोला ये छोटा सा इतना ज्ञानी बच्चा है इससे ज्ञानी बच्चा और कहाँ मिलेगा क्यों ना इसको ही मैं गोद ले लूँ क्यों ना इसको ही मैं राजगद्दी का वारिस बना दूँ वाह मेरे सतगुरु सब ये सुझाव मान गए सब बहुत खुश हुए राजा, रानी, मंत्री, प्रजा सब खुश हो गए और ये बच्चा भाग कर उस ढेरी के पास जा के ऐसे लिपट गया जैसे बच्चा अपनी माँ के आँचल से लिपट है और रोते हुए बोला एक तू ही तो मेरा आसरा है जिसकी तरफ निरंकार खड़ा हो जाए तो कोई उसका बाल भी बाँका नहीं कर सकता वाणी कहती है जाम गुरु होए वल्ल तने क्या गारब कीजे जाम गुरु होए वल्ल लाख बाहें क्या कीजे कितने ही अरबपति खरबपति कितने ही बड़े बड़े ओहदों वाले खड़े हो एक तरफ और दूसरी तरफ एक नाम जपने वाला जिसके साथ सतगुरु खड़ा हो उसका कोई क्या बिगाड़ पाएगा कोई बाल भी बांका नहीं कर पाएगा वो कहते है ना सबे थोक प्रापते जे आवे इक हथ वो एक बस में आ जाए और वो कैसे आएगा नाम जपने से आएगा बस बैठना है और जो बाबा जी कहते है वो मानकर तो देखो उनके सिवा कौन है हमारा कोई भी तो नहीं हमारे प्यारे बाबा जी कितनी संभाल करते है हमारी हर पल बस ये विश्वास कभी कम मत करना कि हम किसके बच्चे है तो बाबा जी की प्यारी साध संगत जी हम सबके लिए खबर यही है कि बाबा जी हमारे इतने अंग संग है कि दुःख तकलीफ हमें छू भी नहीं पाएगी तो इसीलिए कभी भी खुद को अकेला नहीं समझना है हमें बाबा जी पर दृढ़ विश्वास रखना है वो हर पल हमारी संभाल करते हैं और कभी भी इस दुनिया के आगे हमें गिरने नहीं देंगे
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