दुःख की गठरी

बाबा जी की प्यारी साध संगत जी घटना ये है एक बार एक बहुत दुखी इंसान अपने बाबा जी से शिकायत कर रहा था कि बाबा जी आप मेरा ख्याल नहीं रखते मैं सेवा भी करता हूँ फिर भी जिंदगी में इतना ज्यादा दुखी हूँ और हर वक्त दुःख और परेशानियाँ मुझे घेरे रखती है मेरी एक परेशानी खत्म नहीं होती और दूसरी परेशानी तैयार हो जाती है फिर वो अपने सतगुरु से कहता है बाबा जी क्या आपने सारे दुख मेरे हिस्से डाल दिए है फिर गुरु उसको समझाते है कि ऐसा नहीं है बेटा दुख और परेशानियाँ तो सबके साथ है पर दूसरे इंसान को दिखाई नहीं देती इस संसार में सब दुखों और परेशानियों से घिरे हुए है कोई उससे बचा हुआ नहीं है नानक दुखिया सब संसार और तुम्हारी ये बहुत बड़ी गलतफहमी है कि सब सुखी है और सिर्फ तुम दुखी हो ये हमारे पिछले कर्मों के कारण ही हमें दुख मिलते है और कर्मों के कारण ही तो हम इस धरती पर आते है और कर्म ना होते तो हम सब परफेक्ट होते और परफेक्ट होते तो यहाँ दुनिया में क्यों आते अपने कर्मों के कारण ही तो हम इस दुनिया में बार बार आते है पर उस इंसान को कोई बात समझ नहीं आ रही थी और ना ही वो समझने को तैयार था वो जिद करने लगा कि मैं थक चुका हूँ इन दुखों से अब मुझे सुख चाहिए अब गुरु के लिए तो उनका हर बच्चा प्यारा होता है जैसे माँ बाप को अपना हर बच्चा समान रूप से प्यारा होता है जिस तरह माँ बाप का प्यार बच्चे की कमियों और अच्छाइयों पर निर्भर नहीं होता उसी तरह सतगुरु भी हमें सब बच्चों को एक समान प्यार करते हैं हम ही भूले बैठे हैं उस मालिक को जो हमारा सच्चा माता-पिता है उस परमात्मा उस सतगुरु ने ही हमारी ही जिंदगी में भी साथ निभाना है और जिंदगी के बाद भी हमारे साथ रहना है और रिश्ते-नाते तो सब छूट जाएंगे अब घटना के अनुसार वो इंसान जिद पर अड़ा रहा तो उसके गुरु ने कहा ठीक है तू कहता है तो मैं तुझे एक अवसर देता हूं अपनी किस्मत बदलने का अब सच्चा सतगुरु तो खुद परमात्मा ही होता है तो उस व्यक्ति के गुरु ने कहा कि एक पेड़ है जहाँ सब लोग अपने दुःख और परेशानियों की गठरी बाँध कर चले जाते हैं जिससे उनके दुःख और परेशानियाँ खत्म हो सके तुम भी ऐसा कर लो तो तुम्हारी समस्या का हल हो जाएगा यह बात सुनकर वो इंसान खुशी के मारे झूम उठा कि अब तो परेशानियाँ खत्म होने वाली है मेरी पर इसके साथ गुरु ने एक शर्त रखी थी कि अपनी गठरी बाँधने के बाद वहाँ से एक दूसरी गठरी अपने साथ लानी होगी वहाँ हर तरह की छोटी बड़ी गठरी है जो गठरी पसंद आये वो ले आना उस इंसान को ये बात सुनकर कुछ अजीब लगा पर वो अपने दुखों से इतना परेशान था कि खुशी के मारे उसने ये बात मान ली और चला गया अब जब वो उस पेड़ के पास पहुँचा तो देखता है वहाँ तो छोटी बड़ी हर तरह की गठरियाँ बंधी हुई है और बहुत सारी बंधी हुई है वहाँ पहुँचकर उसने पहले अपनी गठरी बाँध दी और बाँधकर बड़ा खुश हुआ कि चलो अब सब दुःख खत्म हो जाएँगे फिर उसे याद आए कि बदले में दूसरी गठरी लेके जानी थी फिर उसने सोचा सबसे छोटी गठरी लूँ या बड़ी लूँ फिर उसके विवेक ने उसे चेताया कि ये तो सारी दुखों की गठरी है छोटी ले लेता हूँ पर फिर उसे लगा अगर उसमें एक ही दुःख इतना बड़ा हुआ जो झेला ही ना जा सके तो क्या होगा मेरा यहाँ कोई अपने सुख की गठरी तो बाँध के जाएगा नहीं फिर उसको बहुत चिंता सताने लगी कि पता नहीं कौन सा दुःख लेकर चला जाऊँ और सारी जिंदगी पछताना पड़े काफी देर तक यही चलता रहा उस इंसान के दिमाग में फिर आखिरकार उसने अपने गुरु को याद किया और सच्चे दिल से पुकारा तो उसके गुरु वहाँ आ गए सतगुरु तो जानी जान होते हैं परेशानी में ही सही याद करके तो देखो वो हर पल हमारे अंग संग है अब जैसे ही उसके गुरु आए तो उनके पैरों पर गिर पड़ा कि बाबा जी मुझे समझ आ गया है इस दुनिया में तो दुख ही दुख है मानो उसको सोझी आ गई हो कहने लगा बाबा जी जिस दुःख का हमें पता ही नहीं हम सामना कैसे कर सकते हैं यहाँ तो मुझे अपने सब दुख और परेशानियाँ पता है और आप साथ हो तो ये परेशानियाँ भी आसानी से चली जाती है फिर कोई दूसरी परेशानी भी आती है तो वो भी जल्दी चली जाती है फिर उसको समझ आ गया कि उसके दुःख तो कुछ भी नहीं तो उसको मानो भेद मिल गया हो अगर सच्चे सद्गुरु का साथ है तो वो तो वो तो सूली का भी शूल कर देते हैं हमारे पिछले कर्मों के दुःख इतनी आसानी से काट देते हैं कि हमारा डर ख़ुशी में बदल जाता है, बाबा जी की प्यारी साध संगत जी हम सब को बाबा जी से इतना प्यार और विश्वास है क्योंकि बाबा जी माता-पिता से भी बढ़कर हर परेशानी में हमारे साथ खड़े होते हैं. अब इस कोविड नाइनटीन सिचुएशन में भी क्या किसी को ऐसी परेशानी आई जो सहन ना हुई हो? ऐसी महामारी में भी हम इतने प्यार इतने विश्वास से अपने सतगुरु अपने मुरशद का दीदार करते हैं और जहाँ हमारे बाबा जी के कदम पड़ जाए तो वहाँ तो दुख का सवाल पैदा ही नहीं होता बहुत किस्मत वाले हैं हम लोग और हमारा पूरा देश जो आज परमात्मा बाबा जी के रूप में हमारे देश आए हैं क्योंकि दुखों के होते हुए भी हम बाबा जी को सदा अपने साथ खड़े पाते हैं मेरी ये बात सुनकर संगत रो जरूर पड़ी होगी क्योंकि मिरेकल तो मालिक अपने सब बच्चों के साथ करता रहता है मुश्किल लगने वाले दुःख को आसानी से काट देता है फिर भी हम परेशान होते है हमारे साथ तो पूरी दुनिया का बनाने वाला खड़ा है तो फिर हम क्यों डरते है इसीलिए हमें दुखों से घबराना नहीं चाहिए उनका सामना करते हुए भजन सिमरन को पूरा टाइम देना है बाबा जी के हुकुम पर चलना है मालिक के हुकुम पर चलेंगे तो मालिक की खुशी हासिल जरूर होगी और मालिक की हासिल होगी तो मालिक हमारा परमार्थ भी सवारेंगे और स्वार्थ भी सवारेंगे

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