बाबा जी की प्यारी साध संगत जी ये घटना सुनकर सारी संगत खुद को इतना खुशनसीब समझेगी। और इस घटना से आप खुद को कनेक्ट कर पाएंगे उस परमात्मा के साथ। बाबा जी से प्यार और विश्वास इतना बढ़ जाएगा कि हम कितने किस्मत वाले हैं कि बाबा जी बड़े प्यार से हम बच्चों से मिलने आते हैं वो कहते हैं ना बाबा जी आपके पास हमारे लिए तो खजाना ही खजाना है और हमारे पास आपके लिए सिर्फ और सिर्फ शुकराना है तो घटना ये है कि एक बार एक व्यक्ति था जो मृत्यु से पहले अपने बेटे को बुलाता है और उसको सोने, चांदी और हीरे, जवाहरात से भरी तिजोरी देकर कहता है कि बेटा जब भी ये तिजोरी खत्म होने लगे या खत्म हो जाए तो मैं एक मंत्र या प्रार्थना देता हूँ उस प्रार्थना को दोहराने से इसका धन भरना शुरू हो जाएगा फिर उस व्यक्ति ने चार शब्दों की प्रार्थना बताई और उसके बाद वो गुजर गया अब बेटा हीरे जवाहरात और सिक्के लेकर बहुत खुश था और अच्छी तरह खर्च करने में लग गया क्योंकि वो तिजोरी बहुत ज़्यादा बड़ी थी तो उस तिजोरी को खाली होने में बहुत साल लग गए अब इतने साल में तो वैसे ही इंसान बहुत सारी बातें भूल जाता है तो इतने साल तक तो वो प्रार्थना भी भूल चुका था पर उसको ये याद रह गया था कि कोई चार शब्द की प्रार्थना थी जिससे तिजोरी फिर भरने लगेगी उसने बहुत कोशिश की पर वो चार शब्द उसे बिलकुल याद नहीं आये आखिरकार उसने लोगों से पूछना शुरू किया कभी पड़ोसियों से पूछता कि आपको कोई चार शब्द की प्रार्थना पता है जिससे मेरा धन बढ़ने लगे अब लोगों को क्या पता होगा क्योंकि अगर उनको पता होता तो हर कोई धनवान होता फिर भी सब लोगों ने अपने अपने अनुभव के हिसाब से बताना शुरू किया एक व्यक्ति ने बताया तुम चार शब्द की प्रार्थना बोलो ईश्वर मेरी मदद करो जब उसने सुना तो उसको लगा ऐसी तो पिताजी ने कोई प्रार्थना नहीं बताई थी क्योंकि जो हमने एक बार भी सुना होता है तो हमें किसी के बताने पर याद आ जाता है पर उसको ये भी प्रार्थना के नहीं लगे फिर भी उसने यह शब्द दोहराए पर धन तिजोरी में नहीं बड़ा वो बहुत दुखी हुआ फिर वो ब्राह्मण के पास गया तो ब्राह्मण ने उसे चार शब्द की प्रार्थना बताई कि ऐसा बोलो ईश्वर तुम महान हो परंतु ये प्रार्थना दोहराने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ा फिर वो व्यक्ति एक धनी व्यक्ति के पास गया और उस धनी व्यक्ति ने बताया कि तुम चार शब्द की ये प्रार्थना दोहराओ कि ईश्वर मुझे धन दो पर उससे भी कुछ नहीं हुआ अब वो व्यक्ति बहुत उदास हुआ क्योंकि ना तो पिता की बताई प्रार्थना याद आ रही थी और ना ही कोई हल निकल पा रहा था अब तो अपने घर पर उदास होकर बैठा हुआ था कि एक साधू उसके दरवाज़े पर आया उसने कहा सुबह से कुछ नहीं खाया है खाने के लिए कुछ हो तो दे दो तो उस व्यक्ति ने साधू को खाना दिया वो साधू बहुत खुश हुआ और खुशी में ईश्वर को प्रार्थना करते हुए बोला हे ईश्वर तुम्हारा धन्यवाद अचानक वे व्यक्ति चौका जैसे उसे वो पिता के बताए चार शब्द याद आ गए हो और वो एकदम से बोला अरे यही तो वो चार शब्द थे हे ईश्वर तुम्हारा धन्यवाद उसकी आँखों से मानो खुशी के आँसू निकल आए हो और वो परमात्मा का शुक्र करते हुए यही शब्द दोहराता गया और उसका धन बढ़ने लगा यह तो एक दंत कथा है पर सच्चाई में अमल करके तो देखो उस परमात्मा को शुक्र करके तो देखो सबसे बड़ी अरदास सबसे बड़ी प्रार्थना कोई और हो ही नहीं सकती के मालिक तेरा शुक्र है हमें हर बात के लिए परमात्मा से शुक्र करना चाहिए सबसे पहला शुक्र के बाबा जी आप हमें मिले नहीं तो असी रुल जाना सी दुनिया में इतनी त्राहियाँ मची हुई है बाबा जी को अपने फ़ोन पर हम कितने ही पास से देख लेते हैं ऐसा लगता है जैसे eye to eye connection हो रहा हो उनसे बातें करके तो देखो जवाब इतनी जल्दी मिलेगा जितनी जल्दी एक पलक झपकती है ये तो प्यार और विश्वास का रिश्ता है मेरा सोहना सतगुरु सच कहे तो बहुत तरस आता है उन लोगों को देखकर जो कहते हैं कि परमात्मा कुछ होता ही नहीं क्योंकि हम किसी को समझा नहीं सकते और जबरदस्ती समझाना भी नहीं चाहिए बाबा जी को जिसको खींचना होता है उसको खींच ही लेते हैं और जिसको मालिक ने खींच लिया तो उसका कोई क्या बिगाड़ सकता है सारी संगत खुद को बहुत सुरक्षित महसूस करेंगे। क्योंकि परमात्मा धरती पर ही है, हमारे प्यारे बाबाजी, हमारे शहंशाह बाबा जी के रूप में। बाबा जी, अपनी मेहर सब पर बनाए रखना। हम गुनहगार हैं। तुसी बक्शनहार हो। बख्श देना मालिक, बख्श देना।
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