भाई लेहना जी गुरसिख कैसे बने

बाबा जी की प्यारी साध संगत जी आज पहले हम जिस घटना का जिक्र करने जा रहे हैं वो घटना आप सबको वो नियम याद दिलाएगी जो नाम दान के समय हमें याद कराया जाता है और आज भी हम उस नियम को जाने अनजाने में तोड़ देते है एक बार एक बहुत ही गरीब आदमी राशन की दुकान पर पहुँचा और उसने दुकानदार से कहा कि मुझे तीन पैसे का राशन दे दो जिसमें थोड़ा सा आटा, थोड़ी दाल, नमक मिर्चू तो दुकानदार बोला तीन पैसे में क्या होगा? तो वो गरीब आदमी जो कि गुड़सिख था उसने दुकानदार से कहा कि दो दिनों से बरसात होने की वजह से मैं कहीं काम पर नहीं जा पाया और ना ही कोई मजदूरी मिली है बस जमींदारों के यहाँ कुछ बंधे हुए गट्ठे रख के आया हूँ तो ये तीन पैसे भी वहीं से मिले हैं मैं और मेरा परिवार तीन दिनों से भूखा है तो जो भी तीन पैसे का राशन बनता है वो दे दो तो उस दुकानदार ने तीन पैसे में तीन मुट्ठी आटा एक मुट्ठी दाल और थोड़ा नमक बीच बाँधकर जब उस गरीब आदमी को देने लगा तो उस दुकानदार को उसपर तरस आ गया और दो मुट्ठी और आटा अपनी तरफ से भी डाल दिया तो उस Gursikh ने देख लिया और दुकानदार से कहा कि तुमने दो मुट्ठी अलग से क्यों डाली वापस निकाल लो तो उस दुकानदार ने समझाया के भाई थोड़ा ले लो इतनी गरीबी है पर वो Sikh नहीं माना दुकानदार ने Gursikh से पूछा कि तुम क्यों नहीं ले रहे हो जब तुम और तुम्हारा परिवार भूखा है इतने पैसे में तो सिर्फ तीन रोटियाँ ही बनेंगी तो Gursikh ने कहा कि मैं किसी के हक का फालतू नहीं ले सकता क्योंकि मेरे गुरु का हुक्म नहीं है ये बात सुनकर दुकानदार हैरान हुआ पर उसने Gursikh के ज़िद करने पर दो मुट्ठी आटा वापस निकाल लिया फिर वो Gursikh वहाँ से चला गया पर दुकानदार ने सोचा ये कैसा इंसान है क्यों ना इसके घर जाकर आज देखूँ कि कैसा है इसका और किस हाल में है अब रात के time अपनी दुकान बढ़ाने के बाद वो दुकानदार उस गुड़ सिख के घर की तरफ चल पड़ा रात का अँधेरा था तो वो दुकानदार चुपचाप जाकर झोपड़ी के बाहर खड़ा हो गया और चुपचाप उस गुड़सिख की बातें सुनने लगा अब उस गुड़सिख की पत्नी ने तीन रोटियाँ पकाई और कहती है आप दो रोटी खा लो और मैं एक खा लूँगी तो वो गुड़ सिख पत्नी से कहता है तूने तो बच्चे दूध पिलाना है तू दो रोटी खा ले मैं एक खा लूँगा और दुकानदार बाहर खड़ा होकर उनकी बातों से बहुत हैरान हो रहा था अब आगे का दृश्य देखकर तो दुकानदार बहुत ज्यादा हैरान हो गया जब उसने देखा कि बाहर एक साधू दरवाज़े पर आकर खड़ा हो गया है और उस गुरु Sikh से कहने लगा कि वह पूरा गाँव घूमकर आ गया पर किसी ने मुझे भोजन नहीं दिया सुना है ये Guru Nanak के Sikh का घर है और यहाँ से खाली हाथ नहीं जाता अब क्या था उस गुड़सिख और उसकी पत्नी ने जब उस साधू की आवाज सुनी तो वो दोनों खुश हो गए और कहने लगे चलो झगड़ा ही खत्म एक रोटी साधू खा लेगा और एक एक हम खा लेंगे अब उन्होंने बड़े प्यार से साधू को अंदर बुलाया और एक रोटी और थोड़ी दाल खाने के लिए दी अब वो साधू जब खाने बैठा तो उसकी एक रोटी खाकर भूख नहीं मिटी तो उस गुड़सिख ने दूसरी रोटी भी दे दी अब उस साधू की उससे भी भूख नहीं मिटी तो फिर उस गुड़सिख ने तीसरी रोटी भी दे दी अब ये सारा दृश्य दुकानदार ने बाहर खड़ा होकर देखा कि सारी रोटियाँ देने के बाद भी उस गुड़सिख और उसकी पत्नी के चेहरे पर एक भी शिकन नहीं थी उल्टा दोनों के चेहरे पर एक सुकून था एक खुशी थी उस साधू को रोटी खिलाकर अब ये सब देखकर दुकानदार से रुका ना गया और उस साधू के जाने के बाद दुकानदार उस गुड़सिख के घर के अंदर और उसने उस गुड़ सिख के चरण पकड़ लिए और कहने लगा कि तू कैसा इंसान है खुद तीन दिन से भूखा है और जो जरा सा खाना था वो भी सारा साधू को खिला दिया और अब तू कल तक का इंतज़ार करेगा कल पूरा दिन मेहनत करेगा तब जाके तुझे कल रात को खाना नसीब होगा और किसी से माँगता भी नहीं है कौन है तेरा गुरु अगर उस गुरु का Sikh ऐसा है तो वो गुरु कैसा होगा साध संगत जी अब आप खुद ही सोचो हमारी किसी भी करनी से हम पर सवाल उठने लगते हैं कि तुम्हारा गुरु कौन है चाहे हमारी अच्छी करनी हो या ना हो सबकी नजर हमारे गुरु पर ही होगी देखो अब इस घटना ने क्या मोड़ लिया किसकी जिंदगी बदली आगे सुनो अब दुकानदार ने उस गुरु Sikh के चरण पकड़ लिए के भाई तुम्हारा गुरु कौन है मुझे दर्शन करने है जिस गुरु Sikh के ऐसे संस्कार होंगे तो वो गुरु कैसा होगा तो उस गुरु Sikh ने मेरे गुरु Guru Nanak देव जी है तो इस दुकानदार को बाबा जी के दर्शनों की चाह ना पैदा हुई और साथ संगत जी आपको पता है वो दुकानदार कौन था वो दुकानदार और कोई नहीं भाई Naina जी थे जो आगे चलकर गुरु Angad देव जी बने वहाँ मेरे सद्गुरु तो बाबा जी की प्यारी साध संगत जी एक Gursikh में क्या खासियत होनी चाहिए सबसे मुश्किल कार्य ही यही है कि हम जो कहते है तेरा भाड़ा मीठा लागे वो हमें करनी में है गर्मी में लाना आसान नहीं है बहुत मुश्किल है पर गुड़ Sikh में वो खासियत होनी चाहिए के मालिक के भाने को मीठा समझ के उसको माने और हमेशा यही अरदास होनी चाहिए के बाबा जी हमें ताकत देना कि हम हर परेशानी का सामना सुरमा बनकर कर सके कभी घबराए नहीं और मालिक का शुक्राना हर कदम पर कर सके गुड़ Sikh ऐसा होना चाहिए कि दूर से निकल रहा हो तो लोग कहे देखो वो जा रहा उस गुरु का शिष्य गुरु Sikh में वो qualities होनी चाहिए कि वो हक हलाल की कमाई पर ही निर्वाह करता हो किसी की निंदा ना करता हो ना सुनता हो किसी को बुरा भला ना कहता हो मालिक के हुक्म की शक्ति से पालना करता हो अपने हर रिश्ते में ईमानदार हो और गुरु के भाड़े में रहे और सबसे ज़रूरी भजन सिमरन को पूरा वक्त दे मालिक के हुकुम रहने वालों पर मालिक की ऐसी मेहर होती है कि उनके काम अपने आप अच्छे होते चले जाते हैं अगर जिंदगी में बहुत परेशानियाँ आ रही हैं तो हमें खुद को analyse ज़रूर करना चाहिए कि हमें कोई ऐसी गलती नहीं करनी जिससे कर्मों का बोझ और बढ़े और अगर फिर भी परेशानियाँ आ रही हैं तो ये समझ लेना चाहिए कि हमारे सारे माने कर्मों की सफाई चल रही है और ऐसे में बाबा जी हमारे बहुत साथ हो जब बच्चा मुसीबत होता है ना तो माँ बाप उस बच्चे का और ज़्यादा ख्याल रखने लगते है है ना उसी तरह हमारी परेशानियों में भी बाबा जी हमारे बहुत अंग संग है वो कहते है ना दुःख जब हद से गुजर जाए तो खुशी नजदीक होती है

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